परिचालन
अवलोकन
परिचालन न सिर्फ भारतीय खाद्य निगम के कार्य संचालन में बल्कि साथ ही खाद्य नीति और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने में एक अति महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है ।
खाद्यान्न का परिचालन इसलिए भारतीय खाद्य निगम का उत्तरदायित्व है ताकि:
- खाद्यान्न की अधिकता वाले क्षेत्रों से खाद्यान्न अन्यत्र भेजा जा सके
- खाद्यान्न की कमी वाले क्षेत्रों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)/ अन्य कल्याणकारी योजना (OWS) और अन्य योजनाओं हेतु खाद्यान्न की आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सके।
- खाद्यान्न की कमी वाले क्षेत्रों में बफर स्टॉक का निर्माण किया जा सके
पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश गेहूं की खरीदी एवं उनके राज्य में उसकी खपत के संबंध में सरप्लस राज्य हैं ।
चावल की खरीदी एवं उनके राज्य में उसकी खपत के संबंध में पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा सरप्लस राज्य हैं । इन राज्यों में उपलब्ध सरप्लस गेहूं और चावल को इन सरप्लस राज्यो से खाद्यान्न की कमी वाले राज्यों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)/ अन्य कल्याणकारी योजना (OWS) तथा अन्य योजनाओ में उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने तथा बफर स्टॉक के निर्माण हेतु परिचालन किया जाता है ।
भारतीय खाद्य निगम द्वारा पूरे देश में प्रति वर्ष औसतन 42 से 45 मिलियन टन खाद्यान्नों का परिचालन किया जाता है । भारतीय खाद्य निगम पूरे देश में स्थापित लगभग 2297 डिपो ( अपने पूरे स्वामित्व + किराए के), साइलो एवं 550 से अधिक रेल-हैड्स (भारतीय रेलवे तथा अन्य स्वामित्व वाले) तथा अपनी 99 रेलवे साइडिंग के बहुव्यापी उपयोग से पूरे देश में खाद्यान्नों का व्यापक रूप से परिचालन का कार्य करता है।
परिचालन योजना निम्नलिखित को ध्यान में रखते हुए मासिक आधार पर बनाई जाती है:
- सरप्लस वाले क्षेत्रों में खाद्यान्न की उपलब्ध मात्रा
- कमी वाले क्षेत्रों द्वारा खाद्यान्न की अपेक्षित मात्रा
- खाद्यान्न की माह में संभावित अधिप्राप्ति
- खाद्यान्न की खपत और अधिप्राप्ति वाले दोनों क्षेत्रों में खाली भंडारण क्षमता
- खाद्यान्नों का विभिन्न योजनाओ में मासिक आबंटन/उठान
परिचालन के साधन
खाद्यान्न का परिचालन रेल, सड़क और जलमार्ग द्वारा किया जाता है । स्टॉक का लगभग 80% परिचालन पूरे देश के विभिन्न भागों में रेल द्वारा किया जाता है । सड़क द्वारा अंतर्राज्यीय परिचालन देश के उन भागों में किया जाता है जो रेल मार्ग से नहीं जुड़े हैं । बहुत थोड़ी मात्रा का परिचालन समुद्री मार्ग द्वारा लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह को किया जाता है, इसके साथ-साथ तटीय शिपिंग के माध्यम से भी समुद्री मार्ग द्वारा केरल को आंध्र प्रदेश से परिचालन किया जाता है ।
भारतीय खाद्य निगम के पास अपनी 98 रेलवे साइडिंग हैं, जहां खाद्यान्न के रैक सीधा डिपो के अंदर प्लेस होती है।
इस के अलावा डिपो के नजदीकी भारतीय रेलवे के रेल- हैड से खाद्यान्न का परिचालन प्राप्ति डिपो के नजदीकी रेल- हैड तक किया जाता है तथा वहा से डिपो में स्टॉक की प्राप्ति की जाती है।
खाद्यान्नों के परिचालन में की गई अन्य पहल
बहुविध (multimodal) तटीय/जलमार्ग परिचालन:
भारतीय खाद्य निगम ने एक सक्रिय उपाय के रूप में बहुविध (multimodal) तटीय/जलमार्ग परिचालन मोड के माध्यम से खाद्यान्न की आवाजाही का भी पता लगाया है ताकि रेल/सड़क मार्ग से परिचालन के पूरक के रूप में इस माध्यम का उपयोग किया जा सके । भारतीय खाद्य निगम पहले से ही तटीय मोड का उपयोग करके अंडमान और लक्षद्वीप में खाद्यान्न ले जा रहा है, जो कि बहुत कम मात्रा में है। 2013-14 से 2020-21 तक, 3.02 एल.एम.टी खाद्यान्न को बहुविध (multimodal) तटीय/ जलमार्ग परिचालन मोड के माध्यम से से परिचालित किया गया है।
कंटेनराइज्ड परिचालन:
भारतीय खाद्य निगम, CONCOR/एसोसिएट्स के माध्यम से कुछ मार्गों पर खाद्यान्नों की कंटेनराइज्ड परिचालन शुरू किया है, जहां पर भी यह पारंपरिक रेलवे रैकों की तुलना में किफायती पाया गया है। 2016-17 से 2020-21 तक, 919 ऐसी कंटेनराइज्ड ढुलाई की गई जिससे लगभग रु. 26.83 करोड़ भाड़े की बचत हुई ।
लागत घटाते समय भारतीय खाद्य निगम रेलवे के सहयेाग से प्रभावी रूप से अनुकूलनतम ढुलाई कर रहा है । डेमरेज और घाट शुल्क वर्ष 2012-13 में रु. 195.73 करोड़ से कम होकर वर्ष 2020-21 में रु. 46.17 करोड़ हो गया है । रि-बुकिंग/डाइवर्जन्स की संख्या वर्ष 2012-13 में 904 रैक (77.97 करोड़) से कम होकर 2020-21 (रु. 0.32 करोड़) में 7 रैक रह गई । डेमरेज प्रति मीट्रिक टन वर्ष 2012-13 में रु. 25.10/एमटी से घटकर वर्ष 2020-21 में रु. 4.66/ एमटी रह गया है ।