अधिप्राप्ति
अवलोकन
सरकार की खाद्यान्न अधिप्राप्ति नीति के मुख्य उद्देश्य किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा कमजोर वर्ग के लिए सस्ते दामों पर खाद्यान्नों की उपलब्धता को सुनिनिश्चत करना है। यह बाजार में प्रभावी हस्तपेक्ष को सुनिश्चित कर मूल्यों पर नियंत्रण करने के साथ-साथ देश की संपूर्ण खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करती है।
भारतीय खाद्य निगम जोकि भारत सरकार की केन्द्रीय एजेंसी है वह अन्य राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर समर्थन मूल्य योजना के तहत गेहूँ और धान की अधिप्राप्ति करता है। केन्द्रीय पूल के लिए मोटे अनाजों की अधिप्राप्ति, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा की जाती है । समर्थन मूल्य के तहत अधिप्राप्ति करने का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनके उत्पाद के लिए लाभप्रद मूल्य सुनिश्चित करना है जोकि बेहतर उत्पादन को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में कार्य करता है।
प्रत्येक रबी/खरीफ मौसम के दौरान, फसल की कटाई से पहले, भारत सरकार, कृषि लागत तथा मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा अन्य तथ्यों के साथ-साथ कृषि संबंधी विभिन्न निवेशों और किसानों को उनके उत्पादके लाभ को ध्यान में रखते हुए दी गई सिफारिशों के आधार पर अधिप्राप्ति हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा करती है।
खाद्यान्नों की अधिप्राप्ति को सुगम बनाने हेतु , भारतीय खाद्य निगम तथा विभिन्न राज्य एजेंसियां राज्य सरकारों के साथ परामर्श करके विभिन्न मंडियों तथा मुख्य स्थानों पर बड़ी संख्या में खरीद केन्द्रों की स्थापना करती हैं । राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न मानको के आधार पर खरीद केन्द्रों तथा उनके प्रमुख स्थानों का निर्णय किया जाता है, ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कार्यों का विस्तार किया जा सके। उदाहरण के लिए रबी फसल मौसम वर्ष 2021-22 मे गेहूं की अधिप्राप्ति के लिए 21,106 प्रोक्योरमेंट सेंटर खोले गये थे और खरीफ फसल मौसम वर्ष 2020-21 मे धान की अधिप्राप्ति के लिए 74,684 प्रोक्योरमेंट सेंटर खोले गए थे। इस प्रकार के विस्तृत तथा प्रभावी समर्थन मूल्य ऑपरेशंस से काफी समय तक किसानों की आय बनी रहती है तथा उत्पादकता में सुधार हेतु कृषि क्षेत्र में अधिक निवेश की प्रेरणा मिलती है।
भारत सरकार के विनिर्देशनों (specification) के अंतर्गत आने वाला जो भी अनाज खरीद केन्द्रों में लाया जाता है उन्हें निश्चित समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है । यदि किसानों को समर्थन मूल्य की तुलना में दूसरे खरीदारों जैसे व्यापारी/मिल मालिकों से बेहतर मूल्य प्राप्त होता है तो वे अपने उत्पाद को उन्हें बेचने के लिए स्वतंत्र हैं । भारतीय खाद्य निगम तथा राज्य सरकार/इसकी एजेंसियां यह सुनिश्चित करती हैं कि किसानों को समर्थन मूल्य से कम दामों पर अपना उत्पाद बेचने के लिए मजबूर न होना पड़े ।