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गुण नियंत्रण

गुण नियंत्रण विस्तार में

गुणवत्ता नियंत्रण और वैज्ञानिक संरक्षण

 

भारतीय खाद्य निगम के पास एक विस्तृत एवं वैज्ञानिक भण्डार परिरक्षण प्रणाली है। मौजूदा कार्यक्रम में यह दिखाया गया है कि रोगनिरोधी एवं उपचारात्मक दोनों उपाय समय से तथा पर्याप्त रूप से किये जा रहे हैं। खाद्यान्नों का भण्डारण योग्य प्रशिक्षित एवं अनुभवी कर्मचारियों द्वारा लगातार धूम्रीकरण एवं वातन के वैज्ञानिक तरीकों से किया जाता है।

 

  उत्पादकों (किसानों) एवं ग्राहकों (उपभोक्ताओं) में संतुष्टि स्तर को बढ़ाने हेतु पी.एफ.ए. के अनुसार गुणवत्ता का आश्वासन देने के लिए खाद्यान्न की गुणवत्ता की प्रभावी निगरानी हेतु भा.खा.नि. की परीक्षण प्रयोगशालाएँ पूरे देश में फैली हुई हैं।

 

 
  खाद्यान्न के गोदामों में पहुँचते ही उसका परिरक्षण शुरू हो जाता है। बोरियों को फर्श  की नमी से बचाने के लिए उनको वुडन क्रेट्स/पॉली पैलेट्स पर रखा जाता है। बोरियों के आगे डिस्पैच/जारी होने तक भण्डार को कीड़ा आदि लगने से रोकने के लिए औसतन 15 दिनों में मैलाथिन का छिड़काव किया जाता है और 3 महीने में एक बार डेल्टामैथरीन तथा कीड़े लगने का पता लगने पर चारा एल्यूमिनियम फॉस्फाइड से रोगनाशी उपाय किया जाता है।

 

 
 

पूरे देश में फैली भा.खा.नि. की 188 परीक्षण प्रयोगशालाएँ यह सुनिश्चित करती हैं कि भंडारित खाद्यान्न उसकी  आवश्यक पोषक गुणवत्ता एफ.ए.क्यू. के अनुसार बनाये रखेः-

       जिला प्रयोगशालाएं 164
          क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं 18
          आंचलिक प्रयोगशालाएं 5
          केन्द्रीय प्रयोगशालाएं 1