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गुण नियंत्रण

अवलोकन

भारतीय खाद्य निगम के  गुण नियंत्रण (क्यूसी) विंग में योग्य एवं प्रशिक्षित कर्मचारी तैनात हैं जिन्हें खाद्यान्नों की अधिप्राप्ति और परिरक्षण का बहुत बड़ा कार्य सौंपा गया है। खाद्यान्नों को अधिप्राप्ति भारत सरकार के निर्धारित विनिर्देशनों के अनुसार की जाती है और गुणवत्ता की मॉनटरिंग करने के लिए भण्डारण के दौरान  उनकी नियमित रूप से जांच की जाती है। भौतिक और रासायनिक विश्लेष्ण हेतु भंडारों के प्रतिनिधि नमूने यह सुनिश्चित करने के लिए लिए जाते हैं कि क्या गुणवत्ता मानक, भारत सरकार तथा भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निर्धारित विनिर्देशनों के मानदण्डों को पूरा करते हैं।  यह कार्य देशभर में फैले लगभग 1850 प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। आंचलिक और क्षेत्रीय स्तरों पर कई प्रयोगशालाएं, खाद्यान्नों का भौतिक और रासायनिक विश्लेषण करने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं। जिला और डिपो स्तर की प्रयोगशालाएं सामान्तयः खाद्यान्नों का भौतिक विश्लेषण करती हैं। देशभर में स्थित प्रयोगशालाओं को नवीनतम उपकरणों से अपग्रेड किया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा संस्थान (IFS) प्रयोगशाला, गुड़गांव को स्टेट ऑफ आर्ट लैब के रूप में अपग्रेड किया जाएगा।

  वरिष्ठ गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी, खाद्यान्न भंडारों की गुणवत्ता की जांच करने के लिए  अधिप्राप्ति और भंडारण स्थलों का निरन्तर दौरा करते हैं और  गुणवत्ता स्टॉफ को उसी समय विनिर्देशनों को पूरा करने वाले खाद्यान्नों की अधिप्राप्ति करने तथा भंडारण के दौरान सभी स्तरों पर इसके रखरखाव  को सुनिश्चित करने की सलाह देते हैं । पर्यवेक्षण संबंधी व्यवस्था को सख्त बनाने और निर्धारित मानदंडों के ऊपर भंडार की अधिप्राप्ति करने के लिए जिम्मेदार पाये गए सभी संबंधित अधिकारियों / कर्मचारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करने के उद्देश्य से दोषियों के विरुद्ध यदि कोई है तो समुचित कार्रवाई भी की जाती है। अधिप्राप्ति और खाद्यान्न व्यवस्था के अनुरक्षण पर गुणवत्ता स्टॉफ के लिए दीर्घावधि / अल्पावधि प्रशिक्षण का आयोजन किया जाता है।

 अनाज का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए भंडारों पर परमीटिड कीटनाशकों का छिड़काव कर खाद्यान्नों को कीड़ा रहित बनाने के लिए समय-समय पर रोगनाशक और उपचारात्मक उपाय किए जाते हैं, ताकि  इन्हें जहां तक हो सके उच्च श्रेणी में परिरक्षित रखा जा सके। समुचित उपायों द्वारा चूहों, पक्षियों और कीडों-मकोड़ों को नियंत्रित करने के लिए रोकथाम के उपाय भी किए जाते हैं।

 संयुक्त सैपलिंग प्रणाली का कड़ाई से पालन करते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए भारत सरकार के मानकों के अनुसार समान विनिर्देशनों को पूरा करने वाले खाद्यान्नों का भंडार जारी किया जाता है।

गैर-जारी योग्य (क्षतिग्रस्त) खाद्यान्न और उनका निपटान 

 ऐसे खाद्यान्न जो FSSA को पूरा नहीं करते हैं और जिन्हें सामान्य निर्गम के लिए रिकंडिशन्ड  नहीं किया जा सकता है उन्हें ‘गैर-जारी योग्य अनाज’ माना जाता है। भंडार को कैप भंडारण या मार्ग में क्षति पहुंच सकती है।

  ऐसे भंडारों को सामान्य चैनलों के अधीन जारी करने के लिए उन्हें अच्छे अनाज के रूप में अलग करने के वास्ते क्षति से बचाने की आवश्यकता होती है। सामान्य निर्गम के लिए जो स्टॉक फिट नहीं होंगे उन्हें ‘गैर-जारी करने योग्य अनाज’ माना जाएगा। गोदामों में प्राप्ति के समय अथवा डिपुओं में पता लगने के बाद गैर-जारी योग्य भंडारों की समुचित जांच की जाती है और विभिन्न ढेरियों में रखें अच्छे अनाज की स्थिति और अनुपात के आधार पर उन्हें अलग किया जाता है।

 विभिन्न श्रेणियों के अधीन वर्गीकृत जारी योग्य खाद्यान्न की निपटान प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है। भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियों द्वारा नए आबंटन और गैर-जारी योग्य भंडारों की बिक्री एकमात्र पंजीकृत पार्टियों को ही की जाती है, जिससे कि गैर-जारी योग्य खाद्यान्नों के बाजार में जाने से रोका जा सके। कार्यकारी निदेशक (अंचल) और महाप्रबंधक (क्षेत्र) को गैर–जारी योग्य खाद्यान्नों के निपटान की पूर्ण शक्तियां प्रदान की गई हैं।