बिक्री
अवलोकन
क. कार्य
देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बिक्री प्रभाग एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम अर्थात टीपीडीएस/एनएफएसए तथा अन्य कल्याण योजनाओं के अंतर्गत खाद्यान्न के वितरण की देखभाल करता है।
भारत सरकार, खाद्य सुरक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से करती है । सार्वजनिक वितरण प्रणाली किसानों को उनकी उपज के लिए समर्थन मूल्य और उचित मूल्य पर खाद्यान्न की आपूर्ति के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करती है। समर्थन मूल्य पर प्राप्त स्टॉक में से सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत खाद्यान्न की कुछ मात्रा प्रत्येक राज्य को जारी करती है। भारतीय खाद्य निगम, भारत सरकार के इस मिशन को वास्तविकता का रूप देता है। सरकार की खाद्य नीति को कार्यान्वित करने के लिए, भारतीय खाद्य निगम कुछ निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति करता हैः-
i) पूरे साल भर समाज के सबसे कमजोर वर्ग को उचित मूल्य पर समान रूप से खाद्यान्न वितरण सुनिश्चित करना।
ii) देश में वर्ष भर खाद्यान्न मूल्यों में स्थिरता बनाए रखना।
iii) आकस्मिक संकटों और प्राकृतिक आपदाओं से तथा उत्पादन में अस्थिरता से निपटने के लिए खाद्यान्न का प्रर्याप्त बफर स्टॉक बनाए रखना ।
ख. कार्यः-
बिक्री प्रभाग के कार्य निम्न प्रकार से हैं :-
1) उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत केन्द्रीय निर्गम मूल्य पर आबंटित तथा उठान किए गए गेहूं और चावल का प्रबंधन किया जाता हैः-
(i) एनएफएसए और टाइड ओवर आवंटन एवं विशिष्ट अतिरिक्त आबंटन ।
(ii) अन्य कल्याणकारी योजनाएं (ओडब्ल्यूएस) जैसे मिड-डे मील, अन्नपूर्णा, कल्याणकारी संस्थान व छात्रावास, गेहूं आधारित पोषण कार्यक्रम तथा किशोरी बालिकाओं हेतु योजना।
(iii) रक्षा/सशस्त्र सैन्य बलों (सीआरपीएफ/बीएसएफ/ आईटीबीपी)
(iv) प्राकृतिक आपदाओं एवं त्योहारों हेतु
(v) खुली बाजार बिक्री योजना (घरेलू)
2) केन्द्रीय पूल हेतु खाद्यानों के स्टाक संबंधी मानकों के निर्धारण से संबन्धित मामले।
3) ओपन टेंडर के माध्यम से निर्गम योग्य पुराने स्टॉक का निपटान।
4) बेस डिपो से प्रमुख वितरण केन्द्रों (पीडीसी) तक खाद्यान्नों के परिवहन की लागत वास्तविक आधार पर दी जाती है उसके लिए पात्र राज्यों/केंद्र शासित राज्यों के हिल ट्रांसपोर्ट सब्सिडी (HTS) के दिनांक 31.03.2017 तक की प्रतिपूर्ति से संबंधित नीति से जुड़े मामले।
5) गेहूं की आपूर्ति विशेषकर शिथिल मौसम में बढ़ाने और खुले बाजार मूल्यों को स्थिर बनाने के लिए समय-समय पर खुले बाजार में पूर्व निर्धारित मूल्यों पर गेहूं जारी करना।
6) सामान्य चैनल एवं निविदा प्रक्रिया के द्वारा दालों का निस्तारण।