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अवलोकन मुख्य सतर्कता अधिकारी की भूमिका तथा उसके कार्यकलाप केंद्रीय सतर्कता अधिकारी/कार्यकारी निदेशक (सतर्कता)/ महाप्रबंधक (सतर्कता) द्वारा एडवाइजरी सतर्कता संबंधी दृष्टिकोण क्या है ? शिकायतों से निपटने की प्रक्रिया भ्रष्टाचार उजागर करने संबंधी नीति संवेदनशील जिला/डिपो/पदों की सूची जाँच कार्यवाही पूरी करने की समयावधि अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ़ की गयी अनुशासात्मक कार्यवाही आरोपी अधिकारी/कर्मचारी (सीओ) का बायो-डाटा/फैक्ट-शीट प्रोफार्मा त्रीमासिक प्रदर्शन रिपोर्ट (QPR) प्रस्तुत करने हेतु दिशानिर्देश सतर्कता क्लीयरेंस के लिए प्रोफार्मा उच्च अधिकारियों की सतर्कता स्थिति सतर्कता जागरूकता सप्ताह मुख्य सतर्कता अधिकारी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क का ब्यौरा शिकायत प्रबंधन प्रणाली सतर्कता प्रतिक्रिया

सतर्कता

अवलोकन

     भारतीय खाद्य निगम की स्थापना खाद्य नीति के निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए खाद्य निगम अधिनियम 1964 के अंतर्गत की गई थीः-

-       किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रभावी मूल्य समर्थन ऑपरेशंस।

-       सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए पूरे देश में खाद्यान्नों का वितरण।

-       राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऑपरेशनल और बफर स्टॉक के सुरक्षित स्तर को बनाए रखना।

अपनी स्थापना के समय से ही भारतीय खाद्य निगम ने देश की संकट प्रबंधन मुखी खाद्य नीति को सुस्थिर सुरक्षा प्रणाली में तब्दील करने में भारत की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय खाद्य निगम जिसका उल्लेख आगे भा.खा.नि. के रूप में किया गया है, मुख्यतः भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्यान्नों की सरकारी खरीद, अनाज का वैज्ञानिक ढंग से भंडारण तथा अधिप्राप्ति ऑपरेशंस के दौरान गुणवत्ता नियंत्रण बनाए रखना। दिए गए अधिदेश को पूरा करने के लिए उपज वाले इलाकों से खपत वाले इलाकों में अनाज की ढुलाई, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा अन्य कल्याण योजनाओं घरेलू तथा निर्यात के लिए, खुली बाजार बिक्री योजना के अंतर्गत जारी किए जाने वाले खाद्यान्न की गुणवत्ता सुनिश्चित करना जैसे कार्यों के इर्द-गिर्द घूमते हैं। इनके अलावा, भा.खा.नि. के मूलभूत ऑपरेशंस से जुड़े इंजीनियरिंग, वित्त और लेखा, विधि प्रभाग, आंतरिक लेखा परीक्षा और औद्योगिक संबंध जैसे अन्य ऑपरेशंस भी संचालित किए जाते हैं।

      भा.खा.नि. में शुचिता, सत्यनिष्ठा और कार्यकुशलता बनाए रखने का प्राथमिक उत्तरदायित्व निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सी एम डी) का है जोकि निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। तथापि, सतर्कता संबंधी कार्यकलापों को पूरा करने के लिए अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक की सहायता एक अन्य अधिकारी द्वारा की जाती है जिसे मुख्य सतर्कता अधिकारी (सी.वी.ओ.) कहा जाता है। मुख्य सतर्कता अधिकारी अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के विशेष सहायक/सलाहकार के रूप में कार्य करता है तथा सतर्कता से संबंधित सभी मामलों में सीधे अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक को रिपोर्ट करता है। वह संगठन के सतर्कता प्रभाग का मुखिया होता है और संगठन तथा केन्द्रीय सतर्कता आयोग एवं केन्द्रीय जांच ब्यूरो के बीच कड़ी का काम करता है। भा.खा.नि. में मुख्य सतर्कता अधिकारी को कार्यकारी निदेशक (सतर्कता) के रूप में भी पदनामित किया गया है।

भारतीय खाद्य निगम का सतर्कता प्रभाग -  भा.खा.नि. के सतर्कता प्रभाग का मुखिया मुख्य सतर्कता अधिकारी होता है। विभिन्न पदों के अधिकारियों की टीम उसकी सहायता करती है। भा.खा.नि. के आंचलिक और क्षेत्रीय स्तर के कार्यालयों में भी सतर्कता ढांचा बनाया गया है। उपयुक्त स्तर के अधिकारी को उसका मुखिया बनाया गया है जोकि आंचलिक कार्यकारी निदेशकों और महाप्रबंधकों, जैसा भी मामला हो की सहायता करते हैं।