सतर्कता
मुख्य सतर्कता अधिकारी की भूमिका तथा उसके कार्यकलाप
जैसाकि केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की नियम पुस्तक में निर्धारित है तथा जैसाकि ऊपर उल्लेख किया गया है मुख्य सतर्कता अधिकारी (सी वी ओ) संबंधित संगठन के सतर्कता प्रभाग का मुखिया होता है तथा वह सतर्कता से जुड़े सभी मामलों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी का विशेष सहायक/सलाहकार होता है । वह अपने संगठन और केन्द्रीय सतर्कता आयोग तथा अपने संगठन और केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सी बी आई) के बीच एक कड़ी की भूमिका भी निभाता है । सी वी ओ द्वारा किए जाने वाले कार्यकलापों का दायरा बहुत व्यापक और फैला हुआ होता है जिसमें संगठन के कर्मचारियों द्वारा किए गए अथवा किए जाने वाले कदाचार के बारे में सूचनाएं एकत्रित करना, जांच करना अथवा उन्हें संसूचित सत्यापनीय आरोपों की जांच करना, संबंधित अनुशासनिक प्राधिकारी के विचार के लिए जांच रिपोर्ट को प्रोसेस करना, आवश्यकतानुसार आयोग की सलाह के लिए मामलों को भेजना अनुचित कृत्यों/भ्रष्टाचार आदि की रोकथाम के लिए कार्रवाई करना । इस प्रकार सी वी ओ के कार्यकलापों को मोटे तौर पर निम्नानुसार तीन भागों में बांटा जा सकता है:-
(i) निरोधक सतर्कता
(ii) दण्डात्मक सतर्कता
(iii) निगरानी और खोजबीन (डिटेक्शन)
निरोधात्मक सतर्कता- भ्रष्ट आचरण करने तथा अन्य प्रकार के अनाचार के लिए "निगरानी" और "दण्डात्मक कार्रवाई" निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है लेकिन सी वी ओ द्वारा किए जाने वाले "निरोधात्मक उपाचार" तुलनात्मक रूप से अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनसे सतर्कता मामलों की संख्या में बड़ी सीमा तक कमी आने की ज्यादा संभावना है । अत: सी वी ओ की भूमिका मुख्य रूप से निरोधात्मक होनी चाहिए । संथानम कमेटी ने भ्रष्टाचार को महत्वपूर्ण ढंग से घटाने के लिए उठाए जाने वाले निरोधात्मक उपायों का उल्लेख करते समय भ्रष्टाचार के चार प्रमुख कारणों को चिन्हित किया था, अर्थात्
(i) प्रशासनिक विलंब;
(ii) सरकार अपने ऊपर उतने से ज्यादा भार ले लेती है जिसे वह नियामक कार्यों के माध्यम से प्रबंधित कर सकती है;
(iii) विभिन्न श्रेणियों के लोक सेवकों में निहित शक्तियों का प्रयोग करते समय वैयक्तिक विवेक के इस्तेमाल की गुंजाइश; और
(iv) ऐसे विभिन्न महत्वपूर्ण मामलों के निपटान की बोझिल प्रक्रिया जो नागरिकों के रोजमर्रा के कामकाज के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं ।
अत: निरोधात्मक सतर्कता के लिए सी वी ओ से निम्नलिखित उपाय करने की अपेक्षा की जाती है:-
- अपने संगठन में ऐसी मौजूदा प्रक्रियाओं और प्रचालित रीतियों को संशोधित करने की दृष्टि से उनका अध्ययन करना जो भ्रष्टाचार का मौका देती हो; और विलंब के कारणों का पता लगाना, ऐसे बिन्दुओं की पहचान करना जहां विलंब होता है और विभिन्न स्तरों पर होने वाले बिलंब को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए उपयुक्त कदम उठाना ।
- यह जांचने के लिए नियामक कार्यकलापों (रेगूलेटरी) की समीक्षा करना कि क्या वे सभी अत्यंत आवश्यक हैं और जिस तरह से उन कार्यकलापों को अमली जामा पहनाया जाता है तथा नियंत्रण हेतु शक्तियों का प्रयोग सुधार लाने में सक्षम है ।
- विवेकाधिकार का प्रयोग मनमाने ढंग से न होकर पारदर्शी और सही तरीके से हो यह सुनिश्चित करने के लिए विवेकाधिकार के प्रयोग पर नियंत्रण के लिए यथेष्ट उपाय किए जाएं ।
- विभिन्न मामलों के साथ डील करने से संबंधित प्रक्रियाओं के बारे में नागरिकों को शिक्षित करना तथा जहां तक संभव हो बोझिल प्रक्रियाओं को सरल बनाना ।
- अपने संगठन में भ्रष्टाचार की आशंका वाले क्षेत्रों की पहचान करना तथा यह सुनिश्चित करना कि इन क्षेत्रों में केवल उन्हीं अधिकारियों को तैनात किया जाए जिनकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित है ।
- संदिग्ध सत्यनिष्ठा वाले अधिकारियों की सूची बनाते समय सूची में ऐसे अधिकारियों के नाम भी शामिल किए जाएं जिसमें जांच के बाद अथवा जांच प्रक्रिया के दौरान सत्यनिष्ठा का अभाव पाया गया है जैसेकि-
(क) सत्यनिष्ठा की कमी के आरोप में जिस अधिकारी को सिद्ध दोष पाया गया हो अथवा नैतिक भ्रष्टता (मॉरल टरपिट्यूड) सहित किसी अपराध के लिए सिद्ध दोष पाया गया हो लेकिन आपवादिक परिस्थितियों के मद्देनजर जिस पर बर्खास्तगी, सेवा से हटाना अथवा अनिवार्य सेवा निवृत्ति जैसे दण्ड अधिरोपित न किए गए हों ।
(ख) सत्यनिष्ठा की कमी अथवा सरकार की हितरक्षा में अपने कर्तव्य के निर्वहन में घोर चूक के आरोप में विभाग द्वारा मेजर पैनल्टी अधिरोपित की गई हो, भले ही भ्रष्टाचार का मकसद सिद्ध न भी हुआ हो ।
(ग) जिसके विरूद्ध मेजर पैनल्टी की कार्यवाही अथवा सत्यनिष्ठा की कमी अथवा नैतिक भ्रष्टाचार के आरोपों सहित आरोपों, न्यायालय में ट्रायल चल रहा हो, और
(घ) जिस पर मुकदमा चलाया गया हो, लेकिन जिसे उसकी सत्यनिष्ठा के बारे में पर्याप्त संदेह रहने के कारण तकनीकी आधार पर दोषमुक्त कर दिया गया हो ।
- सी बी आई के परामर्श से "सम्मत सूची" (एग्रीड लिस्टों") तैयार करना- इस सूची में ऐसे अधिकारियों के नाम शामिल होंगे जिनकी ईमानदारी अथवा सत्यनिष्ठा के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई हों, शक या संदेह हो ।
- यह सुनिश्चित करना कि संदिग्ध सत्यनिष्ठा और सम्मत सूची में जिन अधिकारियों के नाम उल्लिखित हैं उनकी तैनाती चिन्हित/भ्रष्टाचार की आशंका वाले क्षेत्रों में नहीं की जा रही है ।
- कर्मचारियों का आवधिक रोटेशन सुनिश्चित करना; और
- यह सुनिश्चित करना कि संगठन ने खरीद, अनुबंध आदि जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर नियम पुस्तक (मैनुअल) तैयार कर ली है और इन नियम पुस्तकों को समय-समय पर अद्यतन बनाया जाता है तथा ये आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं ।
दण्डात्मक सतर्कता: सी वी ओ को प्राकलन समिति, लोक लेखा समिति और लोक उद्यम समिति जैसी संसदीय समितियों, लेखा परीक्षा रिपोर्टों, संसद के दोनों सदनों की कार्यवाहियों और समाचार-पत्रों में प्रकाशित होने वाली शिकायतों और आरोपों की संवीक्षा-छानबीन करनी चाहिए तथा उनपर उपयुक्त कार्रवाई करनी चाहिए। सी.वी.ओ. से दण्डात्मक सतर्कता के पहलू से मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्रवाई करने की अपेक्षा की जाती है:-
1. सभी स्रोतों से शिकायतें प्राप्त करना तथा इस नजरिए से उनकी छानबीन करना कि इनमें कोई सतर्कता का पहलू तो शामिल नहीं है । संदेह होने पर सी वी ओ को मामला अपने प्रशासनिक प्रमुख को भेज देना चाहिए;
2. सतर्कता पहलू के नजरिए से ऐसे विशिष्ट और सत्यापनीय आरोपों की जांच करना अथवा जांच करवाना
3. आयोग अथवा सी.बी.आई. द्वारा उसे प्रेषित आरोपों की जांच करना अथवा करवाना
4. आगे की जाने वाली कार्रवाई के बारे में सक्षम प्राधिकारी के आदेश प्राप्त करने के लिए जांच रिपोर्ट को तत्परता के साथ प्रोसेस करना तथा आवश्यक होने पर जांच रिपोर्टों पर आयोग की राय प्राप्त करना ।
5. यह सुनिश्चित करना कि संबंधित कर्मचारियों के लिए आरोप-पत्र विधिवत रूप से ड्राफ्ट किए गए हैं तथा तेजी से जारी किए गए हैं ।
6. यह सुनिश्चित करना कि जहां आवश्यक हो वहां जांच प्राधिकारियों की नियुक्ति में कोई विलंब न हो ।
7. जांच के क्रम में अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए सबूतों के मद्देनजर जांच अधिकारी की रिपोर्ट का अध्ययन करना तथा आगे की जाने वाली कार्रवाई के बारे में सक्षम प्राधिकारी के आदेश प्राप्त करना तथा आयोग से दूसरे चरण का परामर्श प्राप्त करना तथा आवश्यकतानुसार यू पी एस सी की राय लेना ।
8. यह सुनिश्चित करना कि दोषी अधिकारी पर दण्ड अधिरोपित करते हुए संबंधित प्राधिकारी द्वारा जारी आदेश सुस्पष्ट हैं । अनुशासनिक प्राधिकारी द्वारा जारी किए जाने वाले आदेश से यह प्रकट होना चाहिए कि अनुशासनिक प्राधिकारी ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया है तथा उन्होंने अपने स्वतंत्र मूल्यांकन का प्रयोग किया है ।
9. यह सुनिश्चित करना कि सभी संबंधितों द्वारा अनुशासनिक कार्यवाहियों में सभी अवस्थाओं में नियमों का कड़ाई से पालन किया गया है क्योंकि नियमों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन से संपूर्ण कार्यवाही व्यर्थ हो जाएगी ।
10 . यह सुनिश्चित करना कि सतर्कता मामलों में सभी चरणों के लिए सी वी सी द्वारा निर्धारित समय-सीमा का कड़ाई से पालन किया जा रहा है ।
निगरानी और अभिज्ञान:-
यह पता लगाने के लिए कि लोक सेवकों द्वारा कहीं कोई भ्रष्टाचार अथवा अनुचित तौर तरीकों का इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है, सी वी ओ को संवेदनशील क्षेत्रों का नियमित तथा औचक निरीक्षण करना चाहिए । उसे आचरण नियमों के तहत लोक सेवकों की संपत्ति विवरणियों तथा आचरण नियमों के तहत दी गई सूचनाओं की तत्परता के साथ उपयुक्त संवीक्षा करनी चाहिए तथा जहां आवश्यक हो इस संबंध में अनुवर्ती कार्रवाई भी करनी चाहिए । इसके अलावा, कदाचार/किए जा रहे भ्रष्टाचार या ऐसे भ्रष्टाचार जिसके होने की आशंका हो इनके संबंध में सी वी ओ को अपने माध्यमों से उन सभी तरीकों का इस्तेमाल करते हुए सूचनाएं एकत्रित करनी चाहिए जिन्हें वह उचित समझता हो । सी.वी.ओ. को प्रत्येक महीने के पहले सप्ताह में जांच रिपोर्टों, अनुशासनिक मामलों तथा अन्य सतर्कता शिकायतों/मामलों जैसे सभी लंबित मामलों की अनिवार्य तौर पर समीक्षा करनी चाहिए तथा इस संबंध में तत्परता के साथ कार्रवाई करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
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