सतर्कता
भ्रष्टाचार उजागर करने संबंधी नीति
- भारत सरकार, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) ने अपने दिनांक 21.04.2004 सं.371/12/2002-AVD-III के माध्यम से तंत्र स्थापित किया है जिसके अंतर्गत लोक सदस्यों के साथ-साथ लोक सेवक भी किसी केंद्रीय अधिनियम द्वारा स्थापित या के अंतर्गत किसी भी निगम के किसी भी कर्मचारी द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप अथवा पद के दुरुपयोग संबंधी नामित एजेंसी को लिखित में प्रकटीकरण दे सकते हैं।
- भारतीय खाद्य निगम खाद्य निगम अधिनियम,1964 के अधीन स्थापित होने के नाते, उक्त संकल्प द्वारा स्थापित तंत्र की परिधि में आता है।
- DOPT के उक्त संकल्प के अनुसरण में, केंद्रीय सतर्कता आयोग को इस तंत्र के उद्देश्यों हेतु नामित एजेंसी नाम दिया गया है। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने, उक्त तंत्र के परिचालन हेतु विस्तृत अनुदेश जारी किए हैं।
- लोक उद्यम विभाग ने PSEs की वार्षिक रिपोर्ट में निगमित शासन (Corporate Governance) संबंधी रिपोर्ट में शामिल किए जाने वाली मदों की सुझावित सूची में से एक ऐसे तंत्र को भी शामिल किया है, जो DPE (दिनांक 14.05.2010 के कार्यालय ज्ञापन सं. 18(8)/2005-जी एम) द्वारा जारी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निगमित अभिशासन के लिए दिशा-निर्देशों के तहत PSE के ऐसे कर्मचारियों के लिए अनैतिक व्यवहार, वास्तविक या संदिग्ध धोखाधड़ी (फ्रॉड) आदि के बारे में प्रबंधन को चिंताओं के बारे में संसूचित करने के लिए हो। यह तंत्र कर्मचारी के प्रति जो तंत्र का उपयोग करना चाहता है, उसे उत्पीड़न के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए तथा उसकी आपवादिक मामलों में ऑडिट कमेटी के चेयरमैन को सीधी पहुँच का भी प्रावधान हो।
- वर्ष 2011-12 के लिए भारतीय खाद्य निगम और भारत सरकार के बीच प्रविष्ट हुए सहमति ज्ञापन (MoU) में, वर्ष 2011-12 के दौरान होने वाली एक कार्रवाई के रूप में निम्नलिखित शामिल किया गया हैः " व्हिसल ब्लोअर स्कीम- निदेशक बोर्ड द्वारा अनुमोदित ।"
- कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के संकल्प, केंद्रीय सतर्कता आयोग के अनुदेशों और लोक उद्यम विभाग के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए व्हिसल ब्लोअर योजना को निगम तंत्र लागू करते हैं:- क) महाप्रबंधक (सतर्कता), भारतीय खाद्य निगम, मुख्यालय को नामित एजेंसी के रूप में भारतीय खाद्य निगम के किसी भी कर्मचारी द्वारा कथित भ्रष्टाचार के किसी आरोप या पद के दुरुपयोग संबंधी लिखित शिकायतों या प्रकटीकरण प्राप्त करने के लिए प्राधिकृत किया गया है। ख) प्रकटीकरण या शिकायत में यथासंभव पूर्ण विवरण शामिल होंगे तथा सहायक दस्तावेजों या अन्य सामग्री संलग्न होगे। ग) यदि नामित एजेंसी उपयुक्त समझे तो वह; प्रकटीकरण करने वाले व्यक्ति से आगे की सूचना या विवरण मांग सकती है। यदि अनाम शिकायत प्राप्त होती है, तो नामित एजेंसी इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं करेगा। घ) नामित एजेंसी, जिसे शिकायत या प्रकटीकरण किया जाता है, उस पर शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखने की जिम्मेदारी होगी। अतः सभी व्यक्ति जो इस तंत्र के तहत शिकायत करने के इच्छुक हैं वे निम्न का अनुपालन करें :- i) शिकायत बंद/सुरक्षित लिफाफे में होनी चाहिए। ii) लिफाफे पर महाप्रबंधक (सतर्कता), भारतीय खाद्य निगम, मुख्यालय लिखा होना चाहिए तथा उस पर "जनहित प्रकटीकरण के तहत शिकायत" (Complaint under Public Interest Disclosure) अंकित होना चाहिए। यदि लिफाफा बंद नहीं है और उपरोक्त वर्णिता के अनुसार अंकित नहीं है, तो नामित एजेंसी के लिए यह संभव नहीं कि इस तंत्र के तहत शिकायतकर्ता को संरक्षण दे सके तथा निगम की सामान्य शिकायत से निपटने की नीति के अनुसार शिकायत का निपटान किया जाएगा। शिकायतकर्ता को शिकायत के आरंभ में या अंत में या संलग्न पत्र में अपना नाम और पता देना चाहिए। iii) नामित एजेंसी अनाम/छद्म नाम वाली शिकायतों पर विचार नहीं करेगी। iv) शिकायत का मूल-पाठ ध्यानपूर्वक तैयार किया जाए ताकि शिकायतकर्ता की पहचान का कोई विवरण या संकेत न मिले। तथापि, शिकायत का विवरण सुस्पष्ट और सत्यापनीय होना चाहिए। v) व्यक्ति की पहचान गुप्त रखने के लिए, नामित एजेंसी कोई पावती जारी नहीं करेगी और व्हिसल ब्लोअर को यह सलाह दी जाती है कि अपने हित में नामित एजेंसी के साथ आगे कोई पत्राचार न करें। नामित एजेंसी यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदार है कि वह सत्यापनीय वाले मामले के तथ्यों के अधीन का तथ्यों के अधीन जैसाकि इसमें प्रावधान किया गया है, आवश्यक कार्रवाई करेगी। यदि आगे कोई स्पष्टीकरण की आवश्यकता होती है तो नामित एजेंसी शिकायतकर्ता के संपर्क में रहेगी।
- यदि शिकायत के साथ शिकायत करने वाले व्यक्ति का विवरण संलग्न है, तो नामित एजेंसी निम्नलिखित कदम उठाएगीः
(i) नामित एजेंसी शिकायतकर्ता की अभिपुष्टि करेगी कि क्या यह वही व्यक्ति है या नहीं जिसने शिकायत की है।
(ii) शिकायतकर्ता की पहचान तब तक उजागर नहीं की जाएगी जब तक शिकायतकर्ता स्वयं दी गई शिकायत का विवरण सार्वजनिक करे या किसी अन्य कार्यालय या प्राधिकारी को अपनी पहचान बताए।
(iii) शिकायतकर्ता की पहचान प्राप्त होने के बाद, नामित एजेंसी सर्वप्रथम, यदि शिकायत की आगे की कार्यवाही करने का कोई आधार है तो इसकी अभिपुष्टि करने के लिए सावधानीपूर्वक जांच (इंक्वायरी) करेंगे। इस उद्देश्य हेतु, नामित एजेंसी उपयुक्त कार्रवाई करेगी।
(iv) या तो सावधानीपूर्वक जांच के परिणामस्वरूप अथवा बिना जांच के शिकायत के आधार पर, यदि नामित एजेंसी का यह मत है कि मामले में आगे जांच करने की आवश्यकता है तो नामित एजेंसी आधिकारिक रूप से संबंधित व्यक्तियों से टिप्पणियां और स्पष्टीकरण मांगेगे। ऐसा करते समय, नामित एजेंसी सूचना देने वाले की पहचान का खुलासा नहीं करेगी।
(v) संबंधित व्यक्तियों की प्रतिक्रिया प्राप्त होने के बाद, यदि नामित एजेंसी का यह मत है कि जांच से, पद के दुरुपयोग अथवा भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होना सामने आता है, तो नामित एजेंसी संबंधित अनुशासनात्मक प्राधिकारी को उपयुक्त कार्रवाई करने की सिफारिश करेगी। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:-
(क) संबंधित कर्मचारी के प्रति उपयुक्त कार्यवाही शुरू करना।
(ख) भ्रष्ट कृत्य या पद के दुरुपयोग के परिणामस्वरूप, चाहे जैसा भी मामला हो, भारतीय खाद्य निगम को हुई हानि के निवारण के लिए उपयुक्त प्रशासनिक कदम उठाना।
(ग) यदि केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों द्वारा प्रमाणित है तो केसों में आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी/एजेंसी की सिफारिश करना ।
(घ) भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुधारात्मक उपायों को करने की सिफारिश देना।
8. यदि कोई व्यक्ति इस आधार पर व्यथित है, कि उसने शिकायत या प्रकटीकरण दर्ज किया है इसके चलते उसका उत्पीड़न किया जा रहा है, तो वह नामित एजेंसी के समक्ष इस मामले में निवारण करने हेतु एप्लीकेशन दे सकता है, तो ऐसी कार्रवाई जो उचित समझी जाएगी।
9. शिकायतकर्ता के एप्लीकेशन पर, अथवा एकत्रित सूचना के आधार पर, यदि नामित एजेंसी का यह मत हो कि शिकायतकर्ता को या तो गवाहों को सुरक्षा की जरूरत है तो नामित एजेंसी भारतीय खाद्य निगम के उपयुक्त उच्च प्राधिकारियों के संज्ञान में यह मामला लाएगी।
10. सतर्कता प्रभाग द्वारा दिनांक 20.10.2010 के परिपत्र 86 के माध्यम से मौजूदा शिकायत हैंडलिंग प्रक्रिया के अतिरिक्त इस तंत्र को बनाया गया है। तथापि, इस परिपत्र में वर्णित तंत्र के अंतर्गत यदि शिकायत प्राप्त होती है तो शिकायतकर्ता की पहचान की गोपनीयता सुरक्षित रखी जाएगी।
11. यदि नामित एजेंसी को यह लगता है कि शिकायत प्रेरित अथवा तंग किए जाने वाली है, तो नामित एजेंसी उपयुक्त कदम उठाने के लिए स्वतंत्र होगी।
12. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि "व्हिसल ब्लोअर" होने के विचारित कारणों/संदेह पर किसी भी व्यक्ति के प्रति भी संबंधित प्रशासनिक प्राधिकारी द्वारा दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
13. इस तंत्र के तहत, भारतीय खाद्य निगम (कर्मचारीवृन्द) अधिनियम, 1971 के अंतर्गत किसी भी मामले जो औपचारिक और पब्लिक इंक्वायरी के संबंध में आदेशित किया गया हो शिकायत या प्रकटीकरण पर कोई विचार नहीं किया जाएगा।
14. प्रतिमूल निर्देशों के बावजूद खुलासा किए जाने वाली सूचना की पहचान की दशा में, यह प्राधिकृत किया जाता है कि ऐसे प्रकटीकरण करने वाले व्यक्ति या एजेंसी के प्रति भारतीय खाद्य निगम (कर्मचारीवृन्द) विनियम, 1971 के अनुसार यथोचित अनुशासनिक कार्रवाई की जाए।